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संतां के कारज आप खलोया हरि – Santaan ke kaaraj aap khaloya hari

संता के कारज आपि खलोआ हरि, कम करावण आया राम ॥
संतों के शुभ-कार्य में ईश्वर स्वयं सहायक हुआ है, यह कार्य सम्पन्न करवाने के लिए वह स्वयं आया है।

धरत सुहावी ताल सुहावा विच अमृत जल छाया राम ॥
अब धरती सुहावनी हो गई है एवं पावन सरोवर भी बड़ा सुन्दर लगता है। इस सरोवर में अमृत-जल भर गया है।

अमृत जल छाया पूरन साज कराया सगल मनोरथ पूरे ॥
परमात्मा की कृपा से इसमें अमृत-जल भर गया है, उसने स्वयं समूचा कार्य सम्पन्न कर दिया है, इस प्रकार संतों के सारे मनोरथ पूरे हो गए हैं।

जै जै कार भया जग अंतर लाथे सगल विसूरे ॥
सारे जगत् में (प्रभु की) जय-जयकार हो रही है और संतों की सब चिन्ताएँ मिट गई हैं।

पूरन पुरख अचुत अबिनासी जस वेद पुराणी गाया ॥
पूर्ण परम पुरुष, अच्युत एवं अविनाशी परमात्मा का यश वेदों एवं पुराणों ने गाया है।

अपना बिरद रखिआ परमेसर नानक नाम धिआया ॥१॥
हे नानक ! जब भी संतों ने नाम का ध्यान किया है तो परमेश्वर ने अपने विरद् का पालन किया है।॥ १॥

 

संतां के कारज आप खलोया हरि – Santaan ke kaaraj aap khaloya hari

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