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Jatin Babbar, Author at Devotional Network - Page 3 of 8

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जैन धर्म के ग्रंथ || Scriptures of jainism

जैन धर्म सहित्यिक रूप से बहुत धनी था। अनेक धार्मिक ग्रंथ लिखे गए हैं। ये ग्रंथ संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं में लिखे गए थे । केवल ज्ञान, मनपर्यव ज्ञानी, अवधि ज्ञानी, चतुर्दशपूर्व के धारक तथा दशपूर्व के धारक मुनियों को आगम कहा जाता था तथा इनके द्वारा दिए गए उपदेशों को भी आगम नाम से संकलित […]

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यीशु की कहानी || Story of jesus

ईसाई धर्म को क्रिश्‍चियन धर्म भी कहते हैं। इस धर्म के संस्थापक प्रभु ईसा मसीह है। ईसा मसीह को पहले से चले आ रहे प्रॉफेट की परंपरा का एक प्रॉफेट माना जाता हैं। इब्रानी में उन्हें येशु, यीशु या येशुआ कहते थे परंतु अंग्रेजी उच्चारण में यह जेशुआ हो गया। यही जेशुआ बिगड़कर जीसस हो

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बौद्धधर्म की सफलता के कारण || Reasons for the success of buddhism

धार्मिक सरलता ● यह कहना अनुचित नहीं कि भारत में बौद्धधर्म का उदय एक धार्मिक क्रांति के फलस्वरूप था वह धार्मिक क्रांति वैदिक धर्म के कर्मकाण्डों और पुरोहितों के प्रभाव के विरुद्ध हुई थी। जिस समय बौद्धधर्म का अभ्युदय हुआ उस समय की सामाजिक तथा धार्मिक स्थितियाँ उसके अनुकूल थीं वैदिक धर्म काफी पुराना था

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इस्लाम धर्म का इतिहास || History of islam

इस्लाम एक एकेश्वरवादी धर्म है जो अल्लाह की तरफ़ से अंतिम रसूल और नबी, पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब सल्ल. द्वारा इंसानों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय किताब (क़ुरआन) की शिक्षा पर स्थापित है। इस्लाम शब्द का अर्थ है – ‘अल्लाह को समर्पण’। इस प्रकार मुसलमान वह है, जिसने अपने आपको अल्लाह को समर्पित कर दिया,

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भारत में बौद्ध धर्म लगभग नष्ट हो गया इसके निम्नलिखित कारण थे || Buddhism was almost destroyed in India due to the following reasons

(1) बौद्ध संघों में भ्रष्टाचार का प्रवेश – महात्मा बुद्ध की मृत्यु के उपरान्त । आचार-विचार को शुद्ध रखने के नियम धीरे-धीरे शिथिल हो गए और बौद्ध भिक्षुओं में भ्रष्टाचार उत्पन्न हो गया। अत: लोग विलासी एवं पाखण्डी भिक्षुओं से घृणा करने लगे। (2) बौद्धों में तान्त्रिक प्रथाओं की उत्पत्ति – धीरे-धीरे बौद्धों में तन्त्रवाद

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बौद्ध धर्म के सिद्धांत || Principles of buddhism

महात्मा बुद्ध ने प्राचीन काल में बौद्ध धर्म प्रचार मौखिक रूप से ही किया था इसके पश्चात उनके शिष्य ने भी उनके धर्म का प्रचार किया था बाद में उनके शिष्यों ने महात्मा बुध के धर्म प्रचार के मुख्य बातों को लिखित रूप में संकलित किया महात्मा बुद्ध के उपदेशों के संकलन को त्रिपिटक के

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विण बोलियां सब कीछ जाणदा || Vin boleya sab kish janda

विण बोलियां सब कीछ जाणदा विण बोलियां सब कीछ जाणदा किस आगे कीजै अरदास किस आगे कीजै अरदास विण बोलियां सब कीछ जाणदा विण बोलियां सब कीछ जाणदा बबिहा सगळी धरती जे फिरै उड़ चढ़े आकाश बबिहा सगळी धरती जे फिरै उड़ चढ़े आकाश उड्ड चढ़े आकाश विण बोलियां सब कीछ जाणदा विण बोलियां सब

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दर्शन देख जीवां गुरु तेरा || Darshan dekh Jiwan guru tera

दर्शन देख जीवां गुरु तेरा – २ पूरण करम होये प्रभु मेरा – २ एह बिनंती सुन प्रभु मेरे – २ देहे नाम कर अपने चेरे – २ अपनी शरण राख प्रभु दाते – २ गुर-प्रसाद किनै बिरले जाते – २ दर्शन देख जीवां गुरु तेरा – २ सुनो बिनो प्रभ मेरे मीता – २

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सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की कहानी || Story of satyawadi raja harishchandra in hindi

एक बार राजा हरिश्चंद्र के सपने में गेरुआ वस्त्र धारण किए हुए एक साधु आए, जिन्होंने सम्राट से उनका पूरा राज पाठ दक्षिणी में मांगा लिया। राजा इतने दयालु थे, कि वह कभी भी अपने शरण में आए हुए किसी भी साधु को खाली हाथ नहीं लौटने देते थे, इसलिए राजा हरिश्चंद्र ने अपना पूरा

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जैन धर्म के उदय के कारण || Reasons for the rise of jainism

जैन धर्म हालाँकि प्राचीन धर्मों में से एक माना जाता है पर इस धर्म का उदय महावीर स्वामी के बाद हुआ। इसके अनेक कारण थे। इस दौरान अनेक राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक परिवर्तन हुए। ये सभी परिवर्तन इस धर्म के उदय का कारण बनें। जिनमें से कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं ● छठी

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