आरती कुंज बिहारी कि || Aarti kunj bihari Ki
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला । श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला । गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली । लतन में ठाढ़े बनमाली | भ्रमर सी अलक | कस्तूरी तिलक | चंद्र सी झलक | ललित छवि […]
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